सच कहूँ तो, जब भी कोई इलेक्ट्रिक कार (EV) खरीदने की बात करता है, तो सबसे पहले दिमाग में ढेर सारे सवाल और डर पैदा होते हैं। क्या बैटरी 5 साल में खत्म हो जाएगी?
क्या चार्जिंग स्टेशन मिलेंगे? और सबसे बड़ा डर—क्या EV में आग लगने का खतरा ज़्यादा है? ये डर अक्सर उन सुनी-सुनाई बातों या भ्रामक ख़बरों पर आधारित होते हैं, जिनका वास्तविक विज्ञान से कोई लेना-देना नहीं होता। अब समय आ गया है कि हम इन सभी अफवाहों को दूर करें।
हमने आपके लिए EV से जुड़े 10 सबसे बड़े मिथकों (Myths) को चुना है और उनके पीछे के वैज्ञानिक और तकनीकी सच को उजागर किया है। अगर आप EV खरीदने की सोच रहे हैं, तो इन सच्चाइयों को जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है, ताकि आप एक सही और आत्मविश्वास भरा फैसला ले सकें।
मिथक नंबर 1: EV की बैटरी 5 साल में खत्म हो जाती है और उसे बदलना बहुत महंगा है
यह शायद इलेक्ट्रिक कारों के बारे में सबसे बड़ा डर है, जो ग्राहकों को सबसे ज़्यादा डराता है। लोगों को लगता है कि 5 साल बाद बैटरी डेड हो जाएगी और उसे बदलने में ₹5 लाख से ₹8 लाख तक का खर्चा आएगा, जिससे उनकी सारी बचत खत्म हो जाएगी।
लेकिन, सच यह है कि आधुनिक लिथियम-आयन बैटरियाँ बहुत ज़्यादा परिष्कृत (Sophisticated) होती हैं। कंपनियाँ, जैसे Tata Motors और MG Motors, अपनी बैटरी पर 8 साल या 1.6 लाख किलोमीटर तक की वारंटी देती हैं। बैटरी की टेक्नोलॉजी इतनी तेज़ी से सुधर रही है कि उसका डिग्रेडेशन रेट (क्षमता में कमी) अब केवल 2-3% प्रति वर्ष है। इसका मतलब है कि 8 साल बाद भी आपकी कार की बैटरी में कम से कम 70% से 80% चार्ज करने की क्षमता बची रहेगी, और आपको उसे तुरंत बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यह डर सिर्फ़ एक पुराना भ्रम है।
मिथक नंबर 2: EV में आग लगने का खतरा पेट्रोल/डीजल कारों से ज़्यादा है
सोशल मीडिया पर EV में आग लगने की कुछ घटनाएँ सामने आने के बाद यह डर काफी बढ़ गया है। लेकिन, जब हम डेटा देखते हैं, तो यह डर पूरी तरह से निराधार साबित होता है।
हकीकत यह है कि पेट्रोल या डीज़ल से चलने वाली इंटरनल कंबशन इंजन (ICE) कारों में आग लगने की घटनाएँ EV की तुलना में सांख्यिकीय रूप से (Statistically) कहीं ज़्यादा होती हैं, लेकिन उनकी खबरें उतनी नहीं आतीं।
EV की बैटरियाँ अब थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम (TMS) से लैस होती हैं, जो बैटरी के तापमान को लगातार नियंत्रित करता है। इसके अलावा, EV की बैटरियाँ अक्सर नीचे की तरफ़ स्टील के एक मजबूत कवच में सुरक्षित होती हैं, जिससे दुर्घटना की स्थिति में भी आग लगने का खतरा बहुत कम होता है। इसलिए, आग लगने का डर सिर्फ एक सनसनीखेज (Sensational) खबर है, न कि कोई वास्तविक खतरा।
मिथक नंबर 3: लंबी यात्राओं पर EV बेकार है, क्योंकि चार्जिंग स्टेशन नहीं मिलते
यह वह डर है जिसे ‘रेंज एंग्जायटी’ (Range Anxiety) कहा जाता है, और यह कुछ साल पहले तक जायज़ था। लेकिन आज, यह अब एक समस्या नहीं रही। भारत सरकार और प्राइवेट कंपनियां हाइवे एक्सप्रेसवे पर तेज़ी से DC फास्ट चार्जिंग स्टेशन लगा रही हैं। अब दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, या बेंगलुरु-चेन्नई कॉरिडोर पर आपको हर 100-150 किमी पर चार्जिंग स्टेशन मिल जाएँगे।
आज की EV (जैसे Tata Nexon EV या Mahindra XUV400) वास्तविक दुनिया में भी 300 किमी से ज़्यादा की रेंज देती हैं। इसका मतलब है कि आप 300 किमी तक आराम से चला सकते हैं, और फिर एक कॉफी ब्रेक के दौरान 30 से 40 मिनट में बैटरी को 80% तक चार्ज कर सकते हैं। टेक्नोलॉजी ने लंबी यात्राओं को अब EV के लिए भी संभव बना दिया है।
मिथक नंबर 4: EV खरीदना बहुत महंगा है और बचत करना मुश्किल है
यह सच है कि Tata Tiago EV या MG Comet EV को छोड़कर अधिकांश इलेक्ट्रिक कारें अपने पेट्रोल वेरिएंट से लगभग ₹2 लाख से ₹4 लाख तक महंगी होती हैं। लेकिन, यहाँ आपको पूरी तस्वीर देखनी होगी। EV का रनिंग कॉस्ट (Running Cost) पेट्रोल/डीजल कार से लगभग 70% से 80% तक सस्ता होता है।
आपकी कार में इंजन ऑयल, स्पार्क प्लग, क्लच प्लेट या टाइमिंग बेल्ट जैसे महंगे पार्ट्स नहीं होते हैं। इसलिए, इसका मेंटेनेंस कॉस्ट ICE कार से 50% से 70% तक कम हो जाता है।
अगर आप रोज़ाना 40-50 किमी की यात्रा करते हैं, तो 4 से 5 सालों में आप ईंधन और मेंटेनेंस की बचत से अपनी शुरुआती बढ़ी हुई कीमत की भरपाई कर लेंगे। EV खरीदना महंगा नहीं, बल्कि लंबी अवधि का स्मार्ट इन्वेस्टमेंट है।
मिथक नंबर 5: EV केवल छोटे शहरों या सिटी ड्राइविंग के लिए हैं
यह धारणा अब बिल्कुल गलत साबित हो चुकी है। चूँकि EV को चलाने में आवाज़ कम होती है और इनमें ऑटोमेटिक गियरबॉक्स होता है, यह सिटी ड्राइविंग के लिए शानदार हैं। लेकिन, अब EV सिर्फ़ छोटी कारें (हैचबैक) नहीं हैं।
बाज़ार में Tata Punch EV, Mahindra XUV400 और Hyundai Kona जैसी मज़बूत SUV मौजूद हैं, जो आराम से 350-400 किमी की रेंज देती हैं। इसके अलावा, आने वाली EV (जैसे Creta EV और Curvv EV) SUV सेगमेंट को और मजबूत करेंगी, जिससे यह साबित होगा कि EV किसी भी तरह की सड़क या यात्रा के लिए उपयुक्त हैं।
✍️ अंतिम राय और निष्कर्ष:
इन सभी मिथकों को तोड़कर, यह स्पष्ट हो जाता है कि इलेक्ट्रिक कारें अब एक सुरक्षित, विश्वसनीय और लंबी अवधि की बचत वाला विकल्प बन चुकी हैं। भारतीय ग्राहकों को अब केवल अपने पुराने डर को पीछे छोड़कर, इस नई और हरित क्रांति को अपनाना चाहिए।